Moral Hindi Story - बुद्ध (Buddha) की यह कहानी आप को दुःख से दूर ले जाएगी

Moral Hindi Story 

Hindi Moral Story Buddha | Hindi Kahani



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एक गांव में एक किसान रहता था। वो अपने दुखो से दुखी था तो किसीने बताया अपने दुखो के समाधान के लिए बुद्ध की शरण में जाओ वो तुम्हारे सभी दुखो का समाधान कर देंगे।  यह सुनकर वह किसान बुद्ध की शरण में चल पड़ा।  जैसा की हम सब के जीवन में होता हे वैसे ही वह किसान अनेक कठिनाईओ का सामना कर रहा था। उसे लगा की बुद्ध उसे कठिनिओ से निकल देंगे। 

यह सोच कर वह बुद्ध (Buddha) के पास पंहुचा और उसने बुद्ध से कहा हे प्रभु में किसान (Kisan) हु और मुझे खेती करना अच्छा लगता हे और बारिस कभीभी पर्याप्त नहीं होती हे और मेरी फसल हर बार ख़राब हो जाती हे और पिछले साल भी मेरे पास खाने को कुछ नहीं था और इस साल फसल बोई तो इस साल अधिक वर्षा हो गई गई और मेरी फसल ख़राब हो गई हे और मेरे पास अभी भी खाने को पर्याप्त नहीं हे। 

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बुद्ध (Buddha) उसकी बाते सुनते रहे और किसान आगे बोला " में विवाहित हु और मेरी पत्नी मेरा ख्याल रखती हे और में उससे प्रेम भी करता हु लेकिन कभी कभी वो मजे परेशांन भी कर देती हे तब लगता हे काश वोह मेरे जीवन में न होती तो अच्छा होता। मेरे दो बच्चे भी हे और वो भोले हे लेकिन वो भी कभी कभी मेरी अवज्ञा कर देते हे और कभी कभी वो मेरी बात नहीं मानते तो मुझे लगता हे मनो वो मेरे बच्चे ही न हो। " किसान एक एक करके ऐसी बाते बुद्ध को बताता गया। उसके जीवन बहुत सारी कठिनाईया थी। बुद्ध उसकी सारी बाते सुनते गए और  बुद्ध एक शब्द भी नहीं बोले और आखिर में किसान के पास बताने के लिए कुछ भी नहीं बचा। अपना मन हलका कर लेने के बाद वो चुप हो गया उसे लगा की बुद्ध उसे कुछ बताएँगे लेकिन बुद्ध चुप रहे और किसानने बुद्ध से कहा " " में आपके पास सहायता के लिए आया था क्या आप मेरी कोई मदद नहीं करेंगे " बुद्ध बोले "में आपकी कोई सहायता नहीं कर सकता। " 
किसान ने अचंबित होकर कहा सब कहते हे आप सबकी समस्या का समाधान करते हे तो आप मेरी कोई सहायता नहीं करेंगे क्योकि में एक गरीब किसान (Garib Kisan) हु। बुद्ध ने कहा "सभी के जीवन में कठिनाई हे तुम्हारे जीवन में भी कोई नयी कठिनाई नहीं हे यह कठिनाई तो सभी के जीवन में आती हे और जाती हे। कभी मनुष्य सुखी होता हे तो कभी दुखी। कभी उसे पराये अपने लगते हे तो कभी अपने पराये। यह जीवन चक्र हे इनसे कोई नहीं निकल सकता। वास्तविकता यह हे की हम सब के जीवन में यह सब कठिनाइया हे और में, तुम और यहाँ बैठे कोई भी इस कठिनाई से नहीं निकल सकते। तुम यह सब समस्या का समाधान नहीं कर सकते हो। में भी नहीं कर सकता। अगर तुम कठोर कर्म करके कोई एक का समाधान कर लोगे तो उसके स्थान पर एक नई समस्या बेठ जाएगी। जीवन का कोई भरोसा नहीं एक दिन जिसे तुम चाहते हो वो तुम्हे छोड़ देंगे और एक दिन यह  छोड़ देगा। जीवन का कोई भरोसा नहीं हे समस्या सदैव ऐसे ही बनी रहेगी और आजभी ऐसी ही समस्या हे जैसी १०० साल पहले थी और इसका कोई हल नहीं हे। "

किसान दुखी हो गया वो बोला सब कहते हे आप महात्मा हे और सभी की समस्या हल करते हे और आपने तो मेरी एक भी समस्या हल नहीं की। आपसे अच्छे तो वो महात्मा थे जो मेरे घर दो साल पहले आए थे और इसने मेरे से दान दक्षिणा  करवाई और मेरे मन को उनसे अपार शांति मिली थी और कुछ समय के लिए सुख भी आया और दुःख भी कम हुए लेकिन आप ने तो मेरी एक भी समस्या हल नहीं की आपने तो सीधा मुझे मनाकर दिया।

बुद्ध बोले "क्या तुम ये करने से तुम्हारे सभी दुःख समाप्त हो चुके हे क्या तुम उनसे भी अधिक दुखो में नहीं पड़े हो ये दुःख कभी समाप्त नहीं होने वाले। " किसान ने कहा" क्या आप मेरी कोई समस्या हल नहीं कर सकते और इन छोटि छोटी बातो को हल नहीं कर सकते तो आप की बाते किस कोई काम की नहीं हे। " बुद्ध ने कहा "में तुम्हारी तिरासी समस्या का हल तो नहीं ला सकता लेकिन चौरासी मि समस्या का हल ला सकता हु। " किसान अचंबित होकर बोला "वो कोनसी समस्या हे। "

बुद्ध बोले "तुम यह चाहते हो की मेरे जीवन में कोई समस्या न हो इसी समस्या के कारन तुम्हारी सारि समस्या का जन्म हुआ हे अगर तुम यह स्वीकार करलो की जीवन में समस्या होती ही हे क्योकि जीवन में तो कोई न कोई कठिनाई होती ही हे। तुम सोचते हो तुम इस दुनिया में सबसे ज्यादा दुखी हो और तुम्हारे जितना और कोई दुखी नहीं हे तो तुम अपने आसपास देखो सब तुमसे कम दुखी हे ? तुम्हे अपना दुःख बड़ा लगता हे और आसपास के लोगो को अपना दुःख बड़ा लगता हे। इस दुनिया में सभी को अपना दुःख बड़ा लगता हे चाहे दुःख छोटा हो या बड़ा। लेकिन वो जैसी के साथ घटता हे वो उसके लिए बड़ा ही हे। हम दूसरे के बारे में विचार नहीं करते और दूर के लोगो के बारे में तो सोचने में भी नहीं आता लेकिन सेज सबंधी के बारे में थोड़ा विचार कर लेते हे और बात जो हम पर आ जाये तो विचलित हो जाते हे। लेकिन अपने जीवन कोई दुःख न होने पर हम लोगो को उपदेश देते हे ऐसे करो वैसे करो तो दुखी नहीं होंगे लेकिन अगर हमारे जीवन में यह दुःख ए तो हम अपने दुखो से दुखी रहते हे और यही हे तुम्हारी चौरासीमी समस्या। "

"तुम चाहते हो की यही समस्या तुम्हारे जीवन में न हो लेकिन जीवन हे जो इन सब समस्या से भरा रहता हे और तुम ध्यान पूर्वक देखोगे तो पता चलेगा की जीवन हर समस्या से भरा रहता हे और अगर तुम चाहो की जीवन में सब सुख हीआये तो ये संभव नहीं हे और चाहो की सब दुःख ही आये तो यह भी संभव नहीं हे क्युके जीवन में सभी प्रकार के दुःख और सुख तो आते  रहेंगे और सुख दुःख से ही ऊपर उठ सकते हे और उसे रोक नहीं सकते लेकिन उसका कोई प्रभाव न पड़े ऐसी व्यवस्था हम खुद कर सकते हे तो में तुम्हारी चौरासीमी समस्या का समाधान कर सकता हु लेकिन आगे की तिरासी समस्या का नहीं और अगर तुम चाहते हो की तुम्हारे जीवन में कोई समस्या न हो तो यह बात को मानना होगा की जीवन में समस्या तो अति रहती हे हमें उनसे विचलित नहीं होना चाहिए। "

यह बात सुनकर किसान बुद्ध के चरणों में पड़ गया और कहा हे प्रभु "इतनी छोटी सी बात में समज नहीं पाया और आपै मुझे बहुत आसानी से समजा दिया और आजके बाद में कभी अपनी समस्या से दूर नहीं हटूंगा और उसका समाधान करके आगे बढ़ता रहूँगा। "

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती हे की कठिनाई और समस्या तो कोई भी व्यक्ति के जीवन में आति ही रहती हे लेकिन जो इन समस्या से दूर भागता हे वो कभी ऊपर नहीं उठ सकता और जो इन समस्या और दुःख को स्वीकार कर आगे बढ़ता हे वह व्यक्ति कभी निचे नहीं गिरता और कठिनाई और समस्या तो जीवन का एक हिस्सा हे जो पुरे जीवन में साथ में ही लेके चलना पड़ेगा क्युकी समस्या किसी भी प्रकार की हो सकती हे किसी के जीवन में बड़ी तो किसी जीवन में छोटी समस्या या दुःख एते रहते हे और इन दुखोसे ही व्यक्ति मजबूत बनता हे और जितने बड़े दुःख जीवन में आएंगे उतने ज्यादा सुखो की बारी नहीं जीवन में आएगी यही सत्य हे।

धनयवाद आप सभी का जिसने इ स्टोरी अंत तक पड़ी हे। आप हमें कमेंट करके जरूर बताइए की आपको यह कहानी (Kahani) किसी लगी 

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